क्या हमारे देशवासियो के लोगो के खून में अंग्रेजो व मुगलों के जुल्म की दहशत अभी भी बरकरार है जो लोग गलत व सही कहने की हिम्मत आज भी नहीं रखते।
हेलमेट या सीट बेल्ट की हाईवे या main रोड पर यहाँ बाइक या गाड़ी की स्पीड 40 KM से जायदा हो जरूरत होती है लेकिन लुधियाना पुलिस ने शहर में यहाँ हर वक्त ट्रैफिक लगा रहता है लोगो के हर चौराहे पर पुलिस के चार पांच मुलाजमो की टीम लोगो के चालान काटने में ही व्यस्त रहती थी शहर के भोले भाले लोग जो घरो से दाल सब्जी दवाई लेने के लिए घर से निकलते थे रास्ते में पुलिस वाला उन्हें रोक कर हेल्मट का चालान काट कर हाथ में पकड़ा देते थे।
चालान के इस जोर जुल्म के वक्त कई लोग पुलिस वालो की मिन्नतें करते थे और कई तो पुलिस इंस्पेक्टर के पाँव पकड़ लेते थे।
लोग घरो से निकलते वक्त डरते थे न जाने कौन सी गली की नुकर पर पुलिस चालान काट कर उनके हाथ में थमा दे।
वास्तव में जिन लोगो के बाइक या गाड़ी की ब्रेक सही नहीं होती और तेज रफ्तारी से चलते है वही लोग दुर्घटना का कारण बनते है।
पुलिस प्रशासन जनता को जागृत करे कि लोग गाड़ी स्पीड लिमिट में चलाये।
जनता पर अंग्रेजो व मुगलो वाला जोर जुल्म करके सदियों बाद मिली जनता की आज़ादी का पुलिस प्रशासन फिर मलिया मेट न करे। जनता को जीने का सलीका सिखाये क्योकि देश के हर नागरिक को आज़ादी से जीने अधिकार है।
लुधियाना के इंटेलीजेंट पुलिस कमिश्नर ईश्वर सिंह ने शहर की जनता को चालान के मानसिक भय व डर से आज़ादी दिलवा दी है और कई सप्ताह हो गए है बिना हेल्मेट व बेल्ट के कारण कोई अनहोनी घटना नहीं हुई अब लुधियाना शहर के लाखो लोग पुलिस के चालान से भय मुक्त हो गए है और दूसरी तरफ यदि लोग स्पीड लिमिट में बाइक व गाड़ी चलाये तो कोई दुर्घटना नहीं होगी।
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