Saturday 23 December 2017

मास्टर जी को भी ज़िंदगी भर यह किताब याद नहीं होती

भारत में अंग्रेज लार्ड मैकाले द्वारा शुरू की गई शिक्षा प्रणाली केवल देश के लोगो को क्लर्क तक ही ज्ञान देती है और लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति हर  व्यक्ति के  सोचने की शक्ति खत्म कर देती है इस तरह एक छात्र पहली क्लास से लेकर एम् ए तक रट्टा ही लगाता रहता है और स्कूल का मास्टर राजनीति या इतिहास की एक ही किताब हाथ में पकड़ कर हर रोज़ बच्चो को पढ़ाता है और मास्टर जी को भी ज़िंदगी भर यह किताब याद नहीं होती और किताब पढ़ते-पढ़ाते स्कूल से रिटायर तक हो जाता है।   

आप किसी स्कूल में जाकर तीस साल पहले पढ़ने वाले बच्चो का स्कूल के प्रिंसिपल के दफ्तर के बाहर मैरिट में आने वाले स्टूडेंट्स का नाम पढ़े वहां पर 70 -80 प्रतिशत तक मैक्सीमम नम्बर  आते थे। 
दोस्तों अब मेरे देश के बच्चो का दिमाग नूडल्स पिज़ा बर्गर मंचूरियन खा खा कर  हार्ड डिस्क बन चूका है अब वे रट्टा लगा लगा कर 99 प्रतिशत मार्क ले सकते है। 
सोचने की बात है ? लक्कड़ वाली सीढ़ी कैसे चढ़ी जाती है यह उन्हें नहीं आता लेकिन उनकी उंगलिया मोबाइल की स्क्रीन टच पर बहुत तेज दौड़ती है।  
आज सी बी एस सी स्लेबस पढ़ने वाले बच्चे  99 प्रतिशत मार्क जरूर ले लेते है लेकिन यह बच्चे अंधेरे में जाने से डरते है दूसरी तरफ 33 प्रतिशत मार्क लेने वाले सरकारी स्कूलों के बच्चो को चाहे अंधेर कोठरी या गुफा में भेज दो वे डरते नहीं क्योकि उनके 33 प्रतिशत ज्ञान और 66 प्रतिशत जगह में साहस और हिम्मत होती है वे हर फिजिकल फील्ड में कामयाब रहते है। 
अगर वास्तव में हम भारत को डिज़िटल बनाना चाहते है तो समय के अनुसार जो काम कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क सॉफ्टवेयर कर सकते है उसको हमे बच्चो के दिमाग से नहीं करवाना चाहिए उनके दिमाग में फिजिक्स केमिस्ट्री मैथ को रट्टा लगवा कर घुसेड़ने की जगह उन्हें प्रैक्टिकल एजुकेशन की तरफ लेकर जाए। 
आज देश के युवा इंजीनियर डॉक्टर वकील मजिस्ट्रेट आई ए एस, आई पी एस जो थेओरी में पास होकर डिग्री तो हासिल कर लेते है लेकिन प्रैक्टिकल में उन्हें कुछ नहीं आता। 
जिसका नतीज़ा हम देख रहे 71 साल की आज़ादी के बाद भी भारत देश हर क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है। 

अंत में हम सभी को इस पर विचार करना चाहिए ताकि भारत के नन्हे मुन्ने बच्चे किताबो के रट्टे लगा कर 99 प्रतिशत मार्क लेने की दौड़ से बाहर आकर प्रैक्टिकल प्रैक्टिस में अपना अधिक समय लगाए ताकि हमे चीन जर्मनी फ्रांस से नई टेक्नोलॉजी की मशीनरी मंगबाने की जगह भारत के युवा भारत में ही नए आविष्कार करे। 
श्रीपाल शर्मा 
आर टी आई ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट 
09417455666 
      

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