Sunday 24 June 2018

तलाक कोई समस्या का हल नहीं है अहंकार, शक और क्रोध ही पति- पत्नी को कोर्ट में तलाक के लिए खींचते है

शादी के बाद तकरीबन 90% शादी शुदा दम्पति में किसी न किसी बात को लेकर मनमुटाव, तकरार, कलह, नोंकझोंक और अगली पिछली बातों को लेकर खींचा तानी कोई नई बात नहीं है। इसे कंट्रोल कैसे किया जाये यह सबसे बड़ी बात है और यदि यह कण्ट्रोल नहीं होती तो बढ़ते बढ़ते यह समस्या तलाक की नौबत तक पहुँच जाती है। 
देखने में आया है कि लव मैरिज करने वाले प्रेमी और प्रेमिका शादी से पहले जो  सपने देखते हैं, सोचते हैं बाद में जब वह सच नहीं होते और प्रेमी अपनी प्रेमिका को और प्रेमिका अपने प्रेमी को शक की निगाह से देखना शुरू कर देते हैं कि जिस तरह शादी से पहले इसने मेरे  साथ रिलेशन बनाये थे अब यह उसी तरह दूसरी औरतो से भी रिलेशन बनाता होगा जैसे इसने मेरे से प्यार किया था  ऐसे ही यह दूसरी लड़कियों से भी प्यार करता होगा और यही सोच लव मैरिज वालों के लिए एक काँटा बन जाती है और धीरे धीरे यह उन्हें एक दूसरे से अलग कर देती है और अंत में नौबत आ जाती है एक दुसरे की शक्ल ने देखने की, तलाक की और एक दूसरे को छोड़ने की। 

अक्सर अरेंज मैरिज में दोनों पक्ष लड़की व लड़के वाले झूठ बोलकर, असलियत को छुपाकर उनकी एक बार तो किसी न किसी तरह उनकी शादी तो कर देते हैं लेकिन बाद में जब परत दर परत झूठ से पर्दा उठता है तो लड़के व लड़की को जब एक दुसरे के परिवार की सच्चाई पता चलती है तो दोनों पक्ष एक दूसरे को नफरत की नजरों से देखने लगते हैं और नौबत आ जाती है तलाक लेने की। शादी से पहले लड़के वाले खूब झूठ बोलते है। अपनी शानो शौकत अमीरी दिखाते है। लेकिन जब दुल्हन घर पर आ जाती है तो उनकी कंगाली भी सामने आने लगती है।  सास- ससुर, देवर -देवरानी सारा परिवार जिन्होंने दुल्हन के साथ साथ उसके बाप की सम्पति पर भी निगाह रखी होती है उसे पाने के लिए वो किसी भी हद तक झूठ बोल सकते है  दो- चार वर्ष बाद जब दुल्हन उनकी इच्छाएं अपने मायके से धन लाकर पूरी करना बंद कर देती है तो फिर खेल शुरू हो जाता है दुल्हन को सताने का, हर बात क्लेश बन जाती है बात बात पर ताने और सारा दिन लड़ने पर ही जोर दिया जाता है और अंत में तलाक की नौबत आ जाती है। 

कई बार लड़की वाले भी बिना सोचे समझे छानबीन किए बिना रिश्तेदारों, विचौलियों के कहने पर अपनी लड़की की शादी उस लड़के से कर देते हैं जो किसी काम का नहीं होता। लड़के के माँ बाप का कारोबार होता है यही लोग  झूठ बोल कर बड़ी बड़ी बाते बना कर अपने निकम्मे लड़के की शादी किसी रईस की बेटी से करने के बाद जब उन्हें पैसा मिलना बंद हो जाता है तो यह लड़के वाले उस लड़की को अपने पास रखने से दूर भागने लगते है  तलाक की बात बढ़ जाने पर यही लोग अपने लड़के को बेदखल करके उन्हें घर से बाहर तक निकाल देते है। जॉइन्ट फैमिली व जॉइन्ट कारोबार करने वाले परिवारों में अक्सर लड़की को परेशान होना पड़ता है। ऐसे परिवारों में हर समय कलह होती रहती है। लड़के वाले लड़की से पीछा छुड़ाने के लिए लड़की पर दोष लगाते है कि वह गुस्से वाली है, चरित्रहीन है, सास ससुर परिवार का कहना नहीं मानती, अपनी मर्जी से बाहर घूमने जाती है, अपने माँ बाप के कहने पर चलती है। यह घर बसाना नहीं चाहती लेकिन फिर भी  हम इसे अपने घर में बसाना चाहते हैं। 

लड़की वाले लड़के वालों पर दोष लगाते है कि उन्होंने झूठ बोलकर शादी की है। शादी से पहले लड़के का बहुत बड़ा कारोबार था, माँ बाप की करोड़ों की प्रॉपर्टी थी लेकिन जब लड़का लड़की को पसंद नहीं करता और माँ बाप के कहने पर तलाक की नौबत आ जाती है। लड़की वाले चाहे जितना चिल्ला लें कोई सुनवाई नहीं होती।
जब तलाक की नौबत आती है तो पहले केस वूमेन सेल में जाता है यहां पर दोनों पार्टियों लड़का व लड़की वालों को उनके ब्यान लेने के लिए इधर से उधर घुमाया जाता है कई महीने वूमेन सेल के  चक्कर लगाने के बाद भी नतीजा कोई नहीं निकलता क्योंकि न तो लड़की वाले झुकने को तैयार होते है और न ही लड़के वाले कोई बात मानने को तैयार होते है। 

हमारे समाज में लोग किसी का घर बसाने की बजाय तमाशा देखना ज्यादा पसंद करते हैं रिश्तेदार यार दोस्त जिन्हे कोर्ट कचेहरी का पता नहीं होता अंगुली लगा कर मिया बीबी के झगड़े को कोर्ट कचैहरी की तरफ मोड़ देते हैं। यहां पर लड़की वाले का वकील 100% लड़के वालो को फ़साने, खर्चा लगवाने, सबक सिखाने की गारंटी देता है। 
दूसरी तरफ लड़के वालों का वकील उन्हें 101% गारंटी के साथ कहता है कि  आप को में तलाक दिलवा दूंगा, लड़की को कोई खर्चा नहीं देना पड़ेगा, लड़की वालो पर कई ऐसी कानूनी धारा लगवा दूंगा कि वह हमारे शिकंजे से कभी बाहर नहीं निकल सकेंगे। 
इस तरह वकील साहेब लड़के वालो को अच्छी तरह समझा देता है कि हम कानून के 
मुताबिक एक दो बार जज के सामने ब्यान देकर लड़की को बसाने का ड्रामा करके घर लेकर आएंगे और उसके बाद कोर्ट में साबित करेंगे कि हम तो इसे घर में रखना चाहते है लेकिन यह अपनी पुरानी हरकतों से बाज़ नहीं आ रही है जिससे साबित होता है कि यह लड़की घर बसाना ही नहीं चाहती। 

इस तरह जब दोनों पक्ष लड़की व लड़के वाले कोर्ट के चक्कर में पड़ जाते है तो समझो आप वकील की झोली में पड़ गए और वर्षो तक दोनों तरफ के वकील हर तारीख़ पर कुछ ना कुछ माया वाया अपनी पॉकेट में डलवाते रहेंगे और वकील साहेब तो क्या कोई भी कारोबारी प्रोफेशनल कंसल्टेंट सच्चाई बोलकर मिया बीबी को यह नहीं कहेगा कि घर बैठ कर परिवार में  फैसला कर लो क्योकि  इन सरकारी पुलिस कोर्ट कचेहरी में कुछ हासिल नहीं होने वाला यहाँ हर दो तीन महीने की तारीख के बाद न कोई जज न कोई वकील तुम्हारे अंदर छिपे दर्द को अपना दर्द समझ कर उस पर फैसला नहीं देता इस तरह तलाक का केस वर्षो तक कोर्ट में लटकता रहता है इस हालात में कोर्ट से न्याय की उम्मीद रखना बेकार है क्योकि पैसा लेकर कोई भी इन्शान किसी को न्याय नहीं दिलवा सकता।  जज अपनी आठ घण्टे काम करने की दिहाड़ी सरकार से लेता है वकील साहेब  अपनी दिहाड़ी मिया बीबी को तलाक दिलवाने के नाम पर उन्हें उल्लू बनाकर ले लेते है। इस तरह कोई भी व्यक्ति अपनी रोज़ी रोटी पर लात नहीं मारेगा और नहीं ही कभी यह कोर्ट वाले चाहेंगे कि मिया बीबी का फैसला हो जाये और उनकी आमदन बंद हो जाये। 

एक लड़की जब अपने माँ बाप को छोड़कर सुसराल में बहू बन कर घर पति के घर प्रवेश करती है तो सबसे पहले हमें उसका आभारी होना चाहिए कि किसी माँ बाप की यह कन्या जो अपना बचपन माँ बाप घर परिवार छोड़कर आपके घर में बसने के लिए आई है तो उसका हमे सत्कार करना चाहिए। उसे इज्जत, मान-सम्मान देना चाहिए लेकिन इसके उल्ट जब दहेज़ के लोभी झूठ बोलकर लड़के की शादी करने वाले उस कन्या को पराई अजनबी समझ कर उससे बूरा बर्ताव करने लगे तो स्वभाविक है कि एक माँ की बेटी के मुँह से दर्द भरी कराह ही निकलेगी।  उस लड़की पर क्या बीतेगी  जिसने शादी से पहले अपने जीवन में सुखद परिवार व अच्छे मिलनसार पति की कामना की होगी अपने मन में कई तरह के सपने संजोये होंगे जब सुसराल में ग्रह क्लेश के कारण उस कन्या के सपने पूरे नहीं होते तो उसका दुखी होना स्वभाविक ही है। जो लड़के वाले लालची होते है जो लड़की से नहीं उसके धन से शादी करते है। ऐसे लोगो के मन में लड़की के लिए शायद कोई हमदर्दी नहीं होती और ऐसे लोग कमीने होते हैं। 

मान लो यदि पति में कोई अवगुण, चरित्रहीनता या कमजोरी है तो पत्नी को चाहिए कि वह उसे भूल जाए, उस पर विचार न करे, अपने मन में क्रोध पैदा न करे क्योकि इसी में उसकी भलाई है वर्ना बार बार उन्ही कमियों को जो हम जानते है जो एकदम तुरंत सुधर नहीं सकती उस पर क्रोध करना, गुस्सा करना, चिढ़ना, क्लेश करना किसी समस्या का हल नहीं है बल्कि यह शक व क्लेश एक दिन पति पत्नी को  तलाक की दहलीज तक ले जाकर उनकी जिंदगी को नरक बना देगा जिसे बाद में रोकना नामुमकिन है।  


यदि आपको अपनी पत्नी पर कोई गुस्सा गिला शिकवा, शक है, मतभेद है आपको उस अबला पर क्रोध नहीं करना चाहिए क्योकि जो औरत आज उसकी पत्नी है वह किसी माँ बाप की बेटी या किसी भाई की बहन भी है जो अपना घर छोड़कर तुम्हारे साथ रह रही है। अगर वह क्रोध करती है शक करती है, तो कोई बात नहीं है क्योकि  क्रोध को शांत करना या गुस्से को पीना भी घर बसाने के लिए जरूरी है। 

अंत में यही कहना चाहूंगा कि पति व पत्नी में यदि कोई मतभेद, गुस्सा या गलत फेहमी है और उस पर कलह क्लेश है तो दोनों पति पत्नी में से यदि एक पक्ष समझदारी से काम ले और क्रोध करना छोड़ दे तो शायद कभी भी तलाक की नौबत नहीं आएगी। कभी किसी का घर नहीं उजड़ेगा। बस एक को अपनी ईगो क्रोध छोड़कर झुकना पड़ेगा और झुकना ही अच्छे इंसान की निशानी है।

 वक्त बदल जाता है शरीर का रूप बदल जाता है। यदि यह तलाक लेने या मांगने वाले अपने घमंड, अहंकार, क्रोध को काबू कर ले और सहनशीलता को अपना ले  एक दूसरे को इंसान समझकर एक दूसरे का दुःख दर्द बंटाये तो यह संसार मिया बीबी के लिए एक स्वर्ग बन जाए। लेकिन हमारे समाज में आज  न तो धर्म गुरुओं के द्वारा न ही समाज के भद्र पुरुषों द्वारा न ही सरकारी मशीनरी द्वारा किसी भी नागरिक को यह पाठ सिखाया या पढाया नहीं जाता कि हम किसी को  क्रोध अहंकार से नहीं बल्कि प्रेम प्यार से जीत सकते है और इस प्रयास से अपने परिवार व समाज में शांति व खुशहाली ला सकते है।  
पति पत्नी यदि दोनों दो चार साल बाद मनमुटाव ग्रह क्लेश होने के बाद जिद्द करते है कि उन्हें तलाक लेना है उनके लिए यह जीवन की सबसे बड़ी भूल होगी क्योकि तलाक लेना ही समस्या का हल नहीं है।  अगर तलाक चाहने वाले दम्पति के बच्चे है तो सबसे बूरा असर उनके बच्चो पर पड़ेगा क्योकि बच्चा माँ बाप दोनों को ही अपना पालनहार मानता है उन्ही की छत्र छाया में जीता है। इसलिए कोई भी दम्पति तलाक के नाम पर अपनी जिद्द अहंकार क्रोध की बलि अपने बच्चे को न चढ़ाये। 
पति पत्नी अक्सर अपनी गलतियों व क्रोध के कारण इतने कठोर दिल हो जाते है कि किसी की बात नहीं सुनते और तलाक के नाम पर खुद तो कोर्टो में धक्के खाते ही है साथ में अपने मासूम बच्चो की जिंदगी में भी अँधेरा भर देते है।    

तलाक लेने वाले दम्पति जिनके बच्चे भी हैं वे तलाक के बारे सोचने से पहले अपने बच्चो की तरफ देखे जो अपने माँ बाप के बिना अधूरे हैं। बच्चो के लिए पति पत्नी अपनी ईगो को छोड़कर पति या पत्नी दोनों में से कोई एक अपने क्रोध को शांत करके अपने बच्चो के लिए जीना सीख ले तो यही उनका अपने परिवार के लिए एक बहुत बड़ा बलिदान (तलाक) होगा जिसमें सारा परिवार पति पत्नी व बच्चे सुखद सुखों की प्राप्ति करेंगे। 

जिन जिद्दी दम्पतियो के  तलाक के लिए वर्षो से केस चल रहे है उनकी जिंदगी अब अंतिम पड़ाव में है और ऐसे लोग अपनी सारी जिंदगी क्रोध, शक, अहंकार की बलि चढ़ाकर दुनिया से चले जाते है।  यदि यही लोग पति पत्नी जो अपनी ईगो क्रोध के कारण कोर्ट में एक दुसरे नीचा दिखाने के लिए तलाक का केस लड़ रहे है यदि अपने मन से पिछले वक्त की बाते शक क्रोध अहंकार को एक तरफ रख कर, फिर से नई जिन्दगी की तलाश करे तो बेहतर होगा कि जब वो इस दुनिया से जाए तो आमने सामने बैठ कर यही सोचते हुए कि  हमे क्या मिला वर्षो तलाक के केस को लड़ते हुए काश हम में से कोई एक अपनी जिद्द शक क्रोध को छोड़ कर झुक जाता और यह जिंदगी हमारे लिए और बच्चो के लिए नर्क न बनती।      


गर हम समाजिक तौर व  इंसानियत के नाते एक इंसान को इंसान समझ कर उससे अच्छा व्यवहार करे तो कभी भी किसी भी घर में क्लेश न हो।बात कुछ भी नहीं है यदि हमारे समाज के लोग चाहे तो किसी भी परिवार का घर उजड़ने न दे पर उसके लिए हमें बिना स्वार्थ व लालच के दोनों पक्षों को मानवता की सेवा समझ कर उन्हें समझाना होगा। 

इन्शान रात दिन सोचता ही रहता है  उसके मन में हर पल कई तरह के विचार आते ही  रहते है और यही विचार और सोच जिसमे अहंकार क्रोध लोभ मोह लालच होती है इन्शान को नरक या पतन की तरफ ले जाते है।  


इस तलाक के विषय पर पूरी किताब लिखी जा सकती है। एक घंटे में इस लेख को मैंने लिखा है। दो दिन में किताब भी लिख सकता हूँ । लेकिन मुझे पता है इसे कोई नहीं पढ़ेगा आज इंटरनेट के युग में किताबे कोई नहीं पढता और यह किताबे अलमारियों में ही धरी रह जाती है। इसलिए हमें किताबे नहीं लिखनी हमें अपने विचार सोशल मीडिया के जरिए लोगो तक पहुंचाने है। ताकि समाज में एक नई सोच उभर कर सामने आए और हम सभी अपने घमंड अहंकार क्रोध लोभ मोह माया को छोड़कर सुख का सन्देश दूसरों तक पहुचाएं।

Shri Paul Sharma 
RTI & Human Rights Activist
Human Rights Action Media

No comments:

Post a Comment