Saturday 10 March 2018

पुलिस और न्यायप्रणाली की खामियों के बारे कोई भी आवाज़ उठाने के लिए तैयार नहीं

भारत में आज भी लोग अच्छे को अच्छा और बुरे को बुरा कहने से डरते है जनता चाहे अनपढ़ है या पढ़ी लिखी हम में से कोई भी व्यक्ति बिना स्वार्थ या मतलब के अपने देश या समाज के हित में एक भी लाइन लिखने से कतराता है क्योकि सबसे पहले हम  सोचते है कि मेरे को इससे क्या लाभ होगा। 
यही कारण है आज देश में  नेता भ्रस्ट, पुलिस भ्रस्ट, प्रशासन भ्रस्ट, न्यायप्रणाली भ्रस्ट और जनता सबसे भ्रस्ट जो मूक बनकर भ्रस्टाचार को सह रही है।
देश की जनता को रहने के लिए घर, खाने के लिए भोजन, स्वास्थ्य के लिए मेडिकल सुविधा, न्याय व सुरक्षा की जरूरत होती है जो आज हमारे देश में उपलब्ध नहीं है और सारा देश उसके लिए तड़प रहा है। सरकार को कोस रहा है। 
किसी भी राष्ट्र में भ्रस्टाचार को खत्म करने और जनता को सुरक्षा प्रदान करने में न्यायपालिका और पुलिस का एहम रोल होता है आज़ादी से अब तक सरकार अंग्रेजो के कानून को ही आज़ाद भारत के लोगो पर थोंप रही है इसमें क्या सही है और क्या गलत इससे किसी को कोई मतलब नहीं है। न ही किसी ने इस पर गहराई से विचार किया है। 
यही कारण है कि आज भी सर्वोच्च न्यालय पुलिस और लोअर कोर्ट की लेखनी पर चर्चा करके अपना व देश की जनता का वक्त जाया कर रहा है।  कैसे ?
देश में कही भी, कोई भी क्राइम का केस होने पर सबसे पहले  उस इलाके के थांने का ए एस आई जो कानून जानता है या नहीं, वह बहुत पढ़ा लिखा है या नहीं इससे किसी को कोई मतलब नहीं है चाहे यह इंस्पेक्टर पुलिस में कांस्टेबल से प्रमोट होकर ए एस आई बना हो तब भी  कोई लेना देना नहीं। कानून के मुताबिक यही ड्यूटी इंस्पेक्टर सारे केस की छानबीन के बाद केस की रिपोर्ट बना कर अदालत में पेश करता है।


फिर न्यायालय में  इलाका मिजस्ट्रेट उसी रिपोर्ट पर सारी कार्रवाई करता है गवाहों के ब्यान लेता है भारतीय दण्ड संहिता कानून की धारा जो ए एस आई ने अपनी समझ से रिपोर्ट में लगाई होती है उसी पर  सारा केस कई साल तक घूमता रहता है। हाई कोर्ट में अपील होने पर भी यही फाइल वहां पहुँच जाती है और इसी पर हाई कोर्ट के जज माथा पच्ची करते है और अपना निर्णय सुना देते है। अगर हाई कोर्ट में भी किसी को संतुष्टी नहीं होती है तो यही फाइल सुप्रीम कोर्ट में पहुँच जाती है और यहाँ पर देश के सर्वोच्च न्यायधीश एक पुलिस कांस्टेबल द्वारा लिखी गई रिपोर्ट पर बहस करते है उसमे क्या गलत है और क्या सही ढूँढ़ते है। 
देश का हर नागरिक जानता है कि है हमारी पुलिस भ्रस्ट है रिश्वत लेकर जिसे चाहे छोड़ दे  और जिसे चाहे मुलज़िम बना दे।  बस।  एक बार जो थाने में पुलिस ने  रिपोर्ट लिख दी सारा मीडिया और न्याय प्रणाली उसी में सच और  झूठ खोजने लग जाती है। उसी पर नेता लोग भाषण करते है।

एक पुलिस वाला आठ श्रेणी पास जो प्रमोट होकर इंस्पेक्टर बना होता है उसकी रिपोर्ट में सच्चाई ढूंढने के लिए जिस मुल्क के  आई पी एस अफसर व सी बी आई और  न्यायालय वर्षो लगा देते है ऐसे देश के लोग सरकार से क्या सुरक्षा की उम्मीद कर सकते है जिस देश का एक भ्रस्ट पुलिस अफसर  रिश्वत लेकर किसी के हक़ में या खिलाफ अपनी मर्जी से  रिपोर्ट तैयार कर देता है उसमे क्या सही है और क्या गलत किसी को कोई मतलब नहीं है। ऐसा लगता है कि सदियों से गुलाम रहने वाली भारत की जनता आज भी मुग़लो और अंग्रेजो के अत्याचार, जुल्म के खौफ से इतनी भयभीत है कि आज तक  पुलिस और न्यायप्रणाली की खामियों के बारे कोई भी आवाज़ उठाने के लिए तैयार नहीं है। 
अब समय आ गया है सरकार न्याय प्रणाली व पुलिस प्रशासन में सुधार करने के लिए सरकार कानून पास करे कि अगर  किसी जगह पर भी कोई क्राइम होता है पुलिस उसकी रिकॉर्डिंग करे, मौके पर ही सभी गवाहों के ब्यान रिकॉर्ड किये जाए ताकि रिश्वत लेकर पुलिस इंस्पेक्टर ब्यानो में हेरफेर न कर सके। 

Shri Paul Sharma President
RTI & Human Rights Activist
Human Rights Action Media

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