अंग्रेजों की शिक्षा प्रणाली 18वीं सदी से चली आ रही है जिसे लार्ड मैकाले ने भारत की सत्ता हासिल करने के लिए लागू किया था भारत देश में उस वक्त में चल रही शिक्षा प्रणाली को खत्म किया और इस देश पर राज करने के लिए नई शिक्षा प्रणाली की शुरुआत की जिसमे अंग्रेजो ने समाज को तोड़ने व लोगो में देश प्रेम की भावना पैदा करने वाली शिक्षा को बदल कर क्लर्क बनाने वाली शिक्षा प्रणाली को देश में लागु करवा दिया था।
आज भी आजादी के 70 साल बाद स्कूलों में घोडा गाड़ी के पुराने वक्त वाली शिक्षा छात्रों को पढ़ाई जा रही है। क्या भारत की जनता या सरकारी तंत्र इस बात से अनजान है या शिक्षा प्रणाली को सरकार खुद व खुद सुधारना नहीं चाहती और स्कूलों में बच्चो को वही दो सौ साल पुरानी शिक्षा के विषय पढ़ाए जा रहे हैं। दो सौ साल पहले और आज के जीवन की तुलना करे तो हर चीज बदल चुकी है लेकिन भारत की शिक्षा प्रणाली आज तक नहीं बदली जिस कारण भारत देश आज भी अंडर डेवेलोप कंट्री लाइन में अटका हुआ है।
वर्तमान शिक्षा प्रणाली में बच्चो को पहली क्लास से ही कई विषय पढ़ाने शुरू कर दिए जाते है। पांचवीं छठी श्रेणी तक तो 8-10 साल के बच्चे जिनके अभी दूध के दांत भी नहीं टूटे होते उन्हें कई विषय जैसे समाजिक, इतिहास, अंग्रेजी, हिसाब, हिंदी, प्रादेशिक भाषा, भूगोल, ड्राइंग, साइंस आदि के पढ़ाये जाते हैं।
मजे की बात है बच्चो के छोटे से दिमाग में सारी पढाई पांचवीं क्लास में ही डालने की इस प्रणाली ने आज स्कूली बच्चों को घरों में बंद कर दिया है। जिससे सुबह छ: बजे से लेकर शाम 7 बजे तक कोई भी बच्चा अपने स्कूल की पढाई पूरी नहीं कर पाता क्योकि उसे डेली स्कूल का सिलेबस पूरा करना ही होता है। इस तरह बच्चा दो बजे स्कुल से आकर दोपहर का खाना खाने के बाद चार बजे फिर ट्यूशन पर चला जाता है और इस तरह साइंस, हिसाब, अंग्रेजी आदि का सिलेबस पूरा करके शाम ढलने पर 7 बजे घर लौटता है।
तभी तो आज कल दुबले पतले बच्चे आँखों पर चश्मा लगाये पढ़ पढ़ कर और रट्टा लगा कर अपने दिमाग को कंप्यूटर बना कर 99 प्रतिशत नम्बर ले रहे है। सरकार व बच्चो के पेरेंट्स ने ज्यादा से ज्यादा अंक लेने के इस कम्पीटिशन ने बच्चो के शरीरिक विकास पर रोक लगा दी है, उनके सोचने की शक्ति को खत्म कर दिया है,बच्चो के दिमाग को एक मशीन बना दिया है इसमें किताबे पढ़कर साइंस व मैथ डालो रट्टा लगाओ और 90 प्रतिशत अंक लेकर डाक्टर अफसर व इंजीनियर बन जाओ।
इसलिए 90 प्रतिशत अंक लेने वाले छात्र जब पढाई करने की बाद फील्ड में प्रैक्टिकली काम करने के लिए आते है। तो उस समय 50 प्रतिशत अंक लेकर डाक्टर या इंजीनियर बनने वाले छात्रों से यह पिछड़ जाते है क्योंकि 90 प्रतिशत अंक लेने वाले बच्चो को समाज व दुनियादारी का कोई बाहरी ज्ञान नहीं होता। इन्होने सारी जिंदगी सुबह से रात तक किताबें पढ़कर अपने दिमाग में ठुंसी होती है, लेकिन दूसरी तरफ 50 प्रतिशत अंक वाला व्यक्ति दुनियादारी का सारा ज्ञान रखता है।
बाहरवीं क्लास तक बच्चो को सारे सिलेवस के विषय जो 8-10 होते है पढ़ाए जाते हैं इस तरह सभी बच्चे अपनी 17 वर्ष की उम्र तक न खेल सकते है न ही पढ़ाई के बोझ से कुछ सोच सकते हैं। सोचे तो तब न जब उन्हें सुबह से लेकर रात तक अपनी पढाई के विषयों का कचरा दिमाग में भरने से फुर्सत मिले।
भारत में जब छात्रों के दूध के दांत टूट कर नए दांत आ जाते है तो कालेज पहुँचने पर पढाई का बोझ उन पर कम कर दिया जाता है। उन्हें एक ही विषय जैसे बी कॉम, बी बी ए आदि की पढाई करनी होती है मतलब साफ़ है जब जब छात्र बड़ा होता है उसकी पढ़ाई भी कम हो जाती है।
युग बदल गया है बच्चो के पास इंटरनेट एप जैसी सुविधाएं आ चुकी है जो भी प्रश्न या उत्तर उन्होंने ढूँढना होता है तुरंत उसकी जानकारी ले लेते है। इसलिए कालेज से नीचे की श्रेणी के छात्रों के दिमाग में इतिहास, राजनीती शास्त्र, हिंदी, इंग्लिश, प्रादेशिक भाषा, साइंस, हिसाब, भूगोल, समाजिक शास्त्र आदि घुसेड़ना बंद करो। बच्चों को सबसे पहले राष्ट्र प्रेम, साईकल या बाइक कैसे चलानी है पार्क कहाँ करनी है कितनी स्पीड से चलानी है, समाज में कैसे जीना है, सरकारी दफ्तरों में रिश्वतखोर, बेईमान अफसरों की कैसे पहचान करनी है और उन्हें कैसे पकड़ना है। खाने पीने वाली वस्तुओं की मिलावट को कैसे रोकना, डाक्टर साहेब मरीजों को कैसे लुटते है उसको कैसे रोकना है, पुलिस जो नागरिकों की सेवा के लिए हमारे टैक्स से सैलरी लेती है उनसे कैसे काम लिया जाए। पड़ोसी जो दो नंबर की कमाई से रातो रात करोड़ पति बन रहा है उसकी शिकायत इनकम टैक्स विभाग में कैसी करनी है। सड़क पर खड्डे पड़े है, सड़कें टूटी है, उन्हें कैसे ठीक करना या करवाना है। अदालतों में करोड़ों केस पेंडिंग पड़े है उन्हें कैसे निपटाया जाए। दहेज़ तलाक आदि के केस क्यों होते है उन्हें कैसे रोका जाए, आदमी क़त्ल क्यों करता है, चोरी क्यों करता है, इसे कैसे रोक सकते है। कनैडा, अमेरिका में जाने के लिए उन्हें कौन सी पढ़ाई की जरूरत है। घर परिवार समाज व देश में कैसे प्रेम भाव से रहना चाहिए इसकी पढाई कराए। ढोंगी गुरु महाराज साधुसंत कैसे लोगों को मुर्ख बनाकर लुटते है इसकी भी शिक्षा दी जाए क्योंकि यह विषय ही समाज को बदलेंगे। पुराने जमाने का इतिहास भ्रष्ट नेताओं की राजनीति शास्त्र, भूगोल आदि की किताबे बच्चो को न पढाई जाए और बच्चो के दिमाग को 12वीं क्लास तक विकसित होने दिया जाए। उसके बाद ही किताबो के विषय उन्हें पढाई जाए।
तभी इस देश में शान्ति समृद्धि आएगी और लोगों में देश प्यार की भावना पैदा होगी।लार्ड मैकाले ने बेसिक भारतीय शिक्षा प्रणाली को इस लिए खत्म किया था नई शिक्षा प्रणाली से लोगो को अपने आप व समाज के बारे सोचने और राष्ट्र प्रेम की भावना को खत्म किया जा सके और हम इन पर राज करते रहे।
इस लिए जब तक हम 12वीं तक की शिक्षा प्रणाली में बच्चो को बेसिक शिक्षा नहीं देते तब तक इस देश में जाग्रति नहीं आएगी। भारत देश तभी डेवेलोप होगा जब हम मैकाले शिक्षा प्रणाली को जड़ से खत्म कर देंगे।
श्रीपाल शर्मा
लुधियाना मोबाइल 9417455666
|
Wednesday, 26 September 2018
अंग्रेजों की शिक्षा प्रणाली जिसे लार्ड मैकाले ने भारत की सत्ता हासिल करने के लिए लागू किया था
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
Indian IAS PCS IPS officer class role in public is not amicable and helpful today because public is getting services from officers as the...
-
In India it has been polluted everything due to money mindedness of each and every citizen. We are looting each other so there is adultera...
-
पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार अमरेंद्र सिंह ने कुछ दिन पहले राज्य के सभी प्राइवेट हॉस्पिटल व नर्सिंग होम पर जनता को मेडिकल सर्विस देने ...
No comments:
Post a Comment