बुलेट मोटर साईकिल के शौकीन स्टाइल्स बालो वाले युवक जो जिम में जाकर अपने मसल बनाते है।
उन पर टैटू बनाते हैं। छाती नंगी करके लोगों को दिखाते हैं। पांच सात मित्रों के साथ किसी मार्किट या मॉल में जाकर दादागिरी करते है। यही गरीब या मध्यम परिवार के युवक जो जिम में मसल बना लेते हैं और फिर उन्हें बाउंसर की नौकरी मिल जाती है और यहीं से उनकी दादागिरी भी शुरू हो जाती है।
वे बाउंसर बन जाने के बाद अपने आप को पुलिस या सिक्योरिटी वाले से ज्यादा पावरफुल समझने लग जाते हैं। धीरे धीरे उनकी यह अकड़ उन्हें बदमाश या गैंगस्टर के रोड तक ले जाती है।
भू माफिया, व्यापारी व राजनैतिक लोग मसल पावर वाले बाउंसरों को अपने साथ रखते हैं और हर जायज और नाजायज काम इन्ही के द्वारा कराया जाता है और जब दो ग्रूपों में मतभेद या झड़प होती है तो यही लोग एक दुसरे को ठिकाने लगाने के लिए गैंग वार का रूप धारण कर लेते हैं। इन गैंगस्टरों के पीछे पुलिस, अफसर. नेता व व्यापारी लोगों तक का हाथ होता है और इन गैंगस्टरों का सारा खर्चा भी घर से लेकर जेल तक यही उठाते हैं।
तभी तो जेलों में बंद सभी गैंगस्टर लोगों को हर तरह की सुविधा बाहर बैठे लोगों द्वारा ही दी जाती है। मंत्री से लेकर संतरी तक गैंगस्टर को जरूरत पड़ने पर हर तरह की सहायता देते हैं; यही मुख्य कारण है कि आज गैंगस्टर हर गली मुहल्ले में पहुँच रहा है।
दूसरी तरफ प्रशासन इन गैंगस्टर के सम्बन्ध पुलिस, नेताओं व अफसरों के साथ होने के कारण इन पर शिकंजा कसने में नाकाम सिद्ध हो रहा हैं।
गैंगस्टरों की हरकतों को देखकर पढ़े लिखे लोगो में भय का माहौल पैदा गया है कि उनके मानव अधिकार व सुरक्षा का जिम्मेदारी कौन लेगा यहाँ अब गैंगस्टर जेलों में बैठे ही जिसको चाहे गोली मरवा दे। यदि गैंगस्टर ग्रुप इसी तरह तेजी से फैलते रहे तो आने वाले समय में कोई भी नागरिक सुरक्षित नहीं रहेगा। इसलिए सरकार को इन गैंगस्टर सिस्टम को ख़तम करने के लिए शीघ्र ही ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि जनता में असुरक्षा की भावना पैदा न हो ।
Shri Paul Sharma
RTI & Human Rights Activist
Human Rights Action Media
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