बड़े शहरो में कई लोगो ने एन जी ओ बनाकर इन्कम टैक्स विभाग से 80जी लेकर झुग्गी झोपडी वाले गरीब बच्चो को इकक्ठा करके उन्हें पढ़ाने के नाम पर धन्धा बना लिया।
गरीब बच्चो को पढ़ाने के नाम पर यह एन जी ओ के कर्ता धर्ता एक बच्चे का सालाना खर्चा 2000 रुपये अमीर लोगो या कम्पनी वालों से लेते है बड़ी बड़ी कम्पनी और फर्म के मालिक 10 बच्चो से लेकर 100 बच्चो तक की फीस इन तथाकथित एन जी ओ को दे रहे है।
एक एन जी ओ वाला जिसकी पहुँच आई टी विभाग, बड़े अफसरों व समाचारपत्रों के मालिकों तक है वह 5000 बच्चो को पढ़ाने का दावा करता है यानि कि वह हर साल गरीब झुग्गी झोपडी वाले बच्चो को पढ़ाने के नाम पर लाखो रूपए इकक्ठे कर रहा है इसे कोई पूछने वाला नहीं है कि इतना रुपया कहा से आता है और कहाँ जाता है।
पांच हज़ार बच्चो को पढ़ाने का दावा करने वाला यह शख्स कैसे मशहूर हुआ इसके पीछे भी एक राज है। इस शख्स ने गरीब मजदूरों के कई बच्चो को नाचने गाने भाषण देने में एक्सपर्ट किया हुआ और साल में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम इन्ही बच्चो को स्टेज पर नचा कुदा कर करता है। सयाने लोगो का कहना है कि कलयुग में पैसा दिमाग और फरेब से ही कमाया जा सकता है।
झुग्गी झोपडी वाले बच्चो को पढ़ाने वाले इस शख्स का नोट इक्क्ठे करने ढंग देखिए। जब यह शख्स किसी बड़े आडोटोरियम में बच्चो को नचाता है तो वहा इसके कार्यक्रम में कोई मिनिस्टर या गवर्नर चीफ गेस्ट होता है। इसी रंगारंग कार्यक्रम में शहर के मुख्य लोग जिनमे कम्पनी और फर्मो के मालिक मैनेजर डायरेक्टर अमीर लोग सरकारी अफसर डाक्टर आदि जो झुग्गी
झोपडी वाले बच्चो को पढ़ाने वाले इस शख्स को लाखो रुपया दान देते है हाल की पहली लाइन में बैठे होते है। दूसरी तरफ बच्चो को पढ़ाने वाली टीचर एक जैसे रंग की साड़ियों में मेकअप से निखरी हुई कुर्सियों पर बैठे झुग्गी झोपडी वाले बच्चो के बीच में खड़ी होती है।
स्टेज पर एन जी ओ चलाने वाला शख्स खड़ा होकर माया देने वाले सभी लोगो का बार बार नाम लेता है और किस सेठ को स्टेज पर बुलाना है या नहीं इसी के हाथ में होता है जो अमीर लोग ज्यादा धन देते है उनकी फोटो मिनिस्टर या गवर्नर के साथ भी हो सकती है। गौरतलब है कि यहाँ पर कई इन्कम टैक्स व अन्य विभागों के अफसर भी फ्रंट की कुर्सियों पर विराजमान होते है जिन्हे देखकर शहर के दो नंबरी अमीरो का होंसला बढ़ जाता है जिससे वे गरीब बच्चो को पढ़ाने के नाम पर ज्यादा ज्यादा उन्हें गोद लेते है।
एक साहूकार जिसे सरकारी दफ्तर में कोई चपड़ासी नहीं जानता जब एन जी ओ वाला शख्स उसे स्टेज पर बुलाकर उसे मंत्री के साथ खड़ा करके उसे सम्मान पत्र दिलवाता है तो यह साहूकार क्यों नहीं 100 -200 बच्चो को पढ़ाने का जिम्मा लेगा। उसकी फोटो अगले दिन अखबार में भी छपी होगी सेठजी को समान्नित किया गया। वैसे तो हिंदुस्तान के लोग इतने स्वार्थी है कि बिना मतलब के कोई किसी को एक फूटी कौड़ी भी नहीं देता।
शहर की कॉरपोरेट कंपनी दो नंबर की इन्कम को एक नम्बर में कन्वर्ट करने के लिए 80 जी वाली एन जी ओ को दिल खोलकर डोनेशन देती है पता चला है कि 80 जी वाली यह एन जी ओ तीस -चालीस परसेंट रुपये लेकर सौ परसेंट की रशीद दे देते है।
क्या प्रशासन व इन्कम टैक्स विभाग ने इन एन जी ओ जो गरीब झुग्गी झोपडी वाले बच्चो को पढ़ाने के नाम पर लाखो रूपये इक्क्ठे कर रहे है क्या उतने बच्चे को यह पढ़ा रहे है जितने बच्चो को पढ़ाने का यह दावा करते है ? क्या सरकार इस की जांच कराएगी ?
प्रशासन को क्या पता नहीं है कि सरकार ने बच्चो को शिक्षा देने के लिए सरकारी स्कूल खोल रखे है यहाँ पर टीचर 30 हज़ार से लेकर 60 हज़ार रूपये मासिक वेतन लेते है। कई स्कूलों में बहुत कम बच्चे होते है टीचर इतनी तन्खाव लेने के बाद भी बच्चो को नहीं पढ़ाते क्या अफसरों और एन जी ओ वालो को इस तरफ ध्यान नहीं देना चाहिए।
क्या ?अफसरों ने किसी एन जी ओ वाले शख्स को जो झुग्गी झोपडी वाले बच्चो को पढ़ाने का दावा करते है उस साहेब को सलाह दी है कि वे अलग से बच्चो को पढ़ाने की जगह सारे बच्चो को सरकारी स्कूलों में दाखिल कराये। सरकार करोड़ो रुपया सरकारी स्कूलों पर खर्च करती है इसलिए देश का नागरिक होने के नाते हमारा भी फ़र्ज़ बनता है कि हम सरकारी स्कूलों में बच्चो को अच्छी शिक्षा दिलवाने में उनका सहयोग करे।
देश में कई एन जी ओ के नाम पर झुग्गी झोपडी वाले बच्चो को पढ़ाने के नाम पर मंत्रिओं के साथ साहूकारों की फोटो खिचवा कर पैसे बटोर रहे है ऐसे लोग समाज का क्या भला करेंगे जिनके बगल में छूरी मुंह में राम राम है।
श्रीपाल शर्मा सोशल वर्कर
आर टी आई ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट
rtihumanrights.blogspot.com
09417455666
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